कहानी एक ऐसा माध्यम हैं जिससे हम अपने बच्चे के ज्ञान में वृद्धि बिना कलम और किताब के कर सकते हैं। जबकि, बच्चों के लिए कहानी छोटी प्रेणादायक और मनोरंजनपूर्ण होना चाहिए। जिससे बच्चे को कहानी में आगे और जानने की इच्छा होती हैं। लेकिन, हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए की कहानी के माध्यम से बच्चे को नैतिक शिक्षा जरूर प्रदान करें। इसलिए, बच्चाघर आपके लिए हमेशा अच्छी अच्छी शिक्षाप्रद कहानियाँ लाते रहते हैं। आज के इस लेख में हम आपको 7 छोटी कहानियाँ बताने जा रहे हैं जो आपके बच्चे के ज्ञानवर्धन में सहायक सिद्ध हो सकता हैं।
1. साधु और बारिश की कहानी:
![story-of-sage-and-rain](https://www.bachchaghar.com/wp-content/uploads/2024/04/story-of-sage-and-rain.jpg)
एक समय की बात हैं ऊधमपुर नामक गाँव में एक साधु महात्मा रहते थे। वह बहुत ही ज्ञानवन और दृढ़ संकल्प के धनी व्यक्ति थे। वे जो भी ठान लेते थे उसको पूरा करके ही छोड़ते थे। साधु महात्मा धीरे-धीरे अपने ज्ञान और बुद्धिमत्त्व के लिए बहुत प्रसिद्ध हो गये। एक बार साधु के गाँव में बारिश नहीं हुई जिसके कारण नदी, तालाब सब सुख गये गाँव वालों को पीने के पानी की भी समस्या आने लगी।
ऊधमपुर गाँव के लोग परेशान हो उठे सभी लोगों ने कहा चलो साधु महात्मा के पास चलते हैं वही कुछ हमें सलाह देंगे। सभी गाँव वालों ने मिलकर साधु महात्मा के पास गये और अपनी बात बताई। साधु महात्मा ने सभी गाँव वालों की बात सुनकर नृत्य करना शुरू कर दिया जिसके कारण इंद्रदेव प्रसन्न होकर वर्षा करना शुरू कर दिए। इस प्रकार, पूरे गाँव में खुशी का माहौल बन गया।
अब साधु महात्मा अपने इस नेक काम के कारण इतना प्रसिद्ध हो गये की उनकी प्रशंसा दूर-दूर तक होने लगी। जिसके कारण एक दिन दूर गाँव के कुछ लोग आये और साधु महात्मा को बोले हमारे गाँव में बारिश नहीं हो रही जिसके कारण हम लोग परेशान हैं। अगर आप बारिश करवा दे तो हम लोग आप के आभारी रहेंगे।
साधु महात्मा ने नृत्य करना शुरू कर दिया लेकिन बारिश शुरू नहीं हुई। लोगों ने साधु महात्मा के बारे में तरह-तरह की बातें करने लगे। लेकिन, साधु महात्मा ने अपना नृत्य करना जारी रखा। दस घंटे बाद बारिश शुरू हो गई। सभी साधु महात्मा की वाह-वही करने लगे। फिर किसी ने साधु महात्मा से पूछा आप यह कैसे करते हो।
साधु महात्मा ने जवाब दिया मैं कोई ज्ञानी नहीं हूँ और न ही कोई मंत्र जानता हूँ। यह सब मेरे विश्वश का परिणाम हैं मुझे दृढ़ विश्वश हैं की मेरे नृत्य करने से बारिश होगी। जब तक बारिश नहीं होगी तब तक मैं अपना नृत्य करना भी नहीं छोड़ूँगा। इसी का नतीजा हैं की आज बारिश हो रही हैं।
2. खरगोश और गाजर की कहानी:
![story-of-rabbit-and-carrot](https://www.bachchaghar.com/wp-content/uploads/2024/04/story-of-rabbit-and-carrot.jpg)
एक किसान था जो गाजर को बेचकर अपना जीवन यापन करता था। एक दिन उसके खेत में एक चतुर खरगोश आया जो किसान से मीठी-मीठी बातें करने लगा। धीरे-धीरे खरगोस ने किसान से दोस्ती कर ली। एक दिन खरगोश ने जंगल में अपने और दोस्तों को बताया की उसका एक दोस्त हैं जो उसे खाने के लिए गाजर देता हैं।
खरगोश के सभी साथियों में उस दोस्त से मिलने की इच्छा हुई। खरगोश ने एक प्लान बनाया तुम लोग झाड़ी के पीछे छिप के बस मुझे देखना आज मैं किसान को कैसे मूर्ख बनाता हूँ। अगली सुबह खरगोश किसान के खेत में फिर पहुच गया। उसने किसान से कहने लगा क्या आपको पता हैं बगल वाले खेत के मालिक गाजर के बजाए बाजार में गाजर का हलवा बेचते हैं जिससे उनकी कमाई आप से दुगनी हैं।
किसान ने खरगोश से बोला हमारे पास गाजर तो हैं पर हमें हलवा बनाना नहीं आता। खरगोश ने कहा गाजर का हलवा बनाने में मैं आपकी मदद कर सकता हूँ। किसान ने बोला कैसे आप कर सकते हो? खरगोश ने बोला ये सभी गाजर आप जंगल में रख दो मैं अपने जंगल के राजा से बोलकर आपका हलवा बनवा दूंगा कल आना ले जाना किसान मान गया।
उस रात जंगल के सभी खरगोश ने मिलकर पार्टी की और सारे गाजर खा गये। अगले दिन जब किसान आया तो न तो गाजर मिला न ही खरगोश। किसान समझ गया मैं मूर्ख बन गया।
3. कुम्हार और गधा की कहानी:
![story-of-the-potter-and-the-donkey](https://www.bachchaghar.com/wp-content/uploads/2024/04/story-of-the-potter-and-the-donkey.jpg)
एक कुम्हार था उसके पास एक गधा था जिससे वह कुम्हार मिट्टी लाता और बर्तन को उसके ऊपर लादकर बाजार में बेचने जाता था। गधा बहुत आलसी था। वह किसी भी तरह का बोझ नहीं उठाना चाहता था। एक बार कुम्हार गधे पर मिट्टी के बर्तन लाद कर बेचने जा रहा था गधे का पैर एक गड्ढे में चले जाने के कारण गधा गिर गया और मिट्टी का बर्तन टूट गया।
कुम्हार बहुत दुखी हुआ और गधे को लेकर वपास घर आ गया। गधा मन ही मन बहुत खुश हुआ उसने सोच ये तो बहुत अच्छी तरकीब हैं। अगले दिन फिर कुम्हार बर्तन लेकर बाजार जा रहा था तो गधे ने फिर से गड्ढे में जानबूझ कर गिर गया। इस बार कुम्हार ने गधे को ऐसा करते हुए देख लिया।
कुम्हार गुस्सा हो गया उस गधे को एक व्यापारी को बेच दिया। व्यापारी नदी उसपर से सामान ले जाता था। एक दिन व्यापारी ने गधे के ऊपर नामक लाद कर नदी के उसपर से ला रहा था गधा नदी में गिर पड़ा और नामक बह गया जिसके कारण उसका बोझ हल्का हो गया। अगली बार किसान चीनी की बोरी गधे पर लाद के ला रहा था तो गधे ने जानबूझकर नदी में बैठ गया जिसके कारण चीनी गल गई और पानी में बह गई। इस बार गधे को ऐसा करते हुए व्यापारी ने देख लिया था।
व्यापारी गधे को मजा चखाना चाहा उसने अगले दिन रुई का एक बड़ा सा गट्ठर लाद दिया। जब गधा बीच नदी में बैठा तो उस गट्ठर में पानी से भर गया। जिसके कारण गट्ठर का भार बहुत ज्यादा बढ़ गया और गधे से नहीं चला जा रहा था। उस दिन से गधे ने नदी में बैठना छोड़ दिया।
4. दो दोस्त की कहानी:
![story-of-two-friends](https://www.bachchaghar.com/wp-content/uploads/2024/04/story-of-two-friends.jpg)
एक शहर में दो दोस्त रहते थे दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। पहला दोस्त बहुत बुद्धिमान था जो अपने दिमाग के अनुसार काम करता था। जबकि, दूसरा दोस्त लोगों को देखकर उसी प्रकार के काम करना चाहता था। एक दिन दोनों दोस्त एक समुद्र के किनारे बैठे थे और पैसा कमाने के बारें में बात कर रहे थे।
पहला दोस्त बोला देखो भाई हमें बहुत ज्यादा नहीं सोचना हैं हम जहाँ हैं वही से कुछ न कुछ शुरू करते हैं। दूसरा दोस्त भी उसकी बातों से सहमत हो गया। कुछ समय बाद पहले वाले दोस्त के दिमाग में विचार आया की क्यों न हम इसी समुद्र से शंख इकट्ठा करके शहर चलकर बेच देते हैं जिससे हमें कुछ पैसे भी मिल जाएगा।
दूसरे दोस्त को यह काम करना थोड़ा कम पसंद आ रहा था। क्योंकि वह कोई काम बहुत बड़े से शुरू करना चाहता था। जबकि, उसे यह काम छोटा दिख रहा था। दोनों दोस्तों ने समुद्र में शंख ढूंढने चल पड़े। पहले वाले दोस्त को जल्द ही एक बड़ा शंख मिल गया। जिसको देख दूसरा दोस्त सोचने लगा अब इसको बहुत सारे पैसे मिल जाएंगे। उसने भी बड़ा शंख खोजना शुरू कर दिया।
लेकिन, उसे छोटे-छोटे शंख ही मिल रहे थे जिसे वह फेक दे रहा था। इस तरह से सुबह से शाम हो गई दूसरे दोस्त को कोई बड़ा शंख नहीं मिला। अब दोनों दोस्त शहर चले गये और पहले वाले दोस्त ने अपने शंख को बेचने लगा उसको बड़े वाले शंख के एक हजार रुपये और छोटे शंख के चार हजार रुपये मिले। दूसरे दोस्त के पास बड़े शंख खोजने के चक्कर में कोई शंख नहीं मिला। अब उसको अपने किए पर पछतावा होने लगा।
5. ज़्यादा सोचने वाले बच्चे की कहानी:
![story-of-a-child-who-thinks-too-much](https://www.bachchaghar.com/wp-content/uploads/2024/04/story-of-a-child-who-thinks-too-much.jpg)
कबीरपुर नामक गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम धीरू था। धीरू अक्सर अपने अतीत में ही जीता था अगर उसे कोई कुछ बोल दें तो वह हमेशा उसी बात के बारें में सोचता रहता था। धीरू या तो उसका जबाब देने के बारे में सोचता या फिर उसका बदला लेने के बारे में सोचता रहता था। यही वह कारण हैं जिसकी वजह से धीरू दिनों प्रतिदिन परेशान रहने लगा जिसके कारण उसका स्वास्थ भी खराब होने लगा।
उसकी यह स्थिति देख उसके एक दोस्त ने बोला क्या बात हैं धीरू तुम आजकल किस प्रकार की चिंता में डूबे रहते हो। धीरू ने सारी बात अपने दोस्त को बता दिया। उसके दोस्त ने बोला कल सुबह तुम मेरे साथ चलो। धीरू को उसका दोस्त अगली सुबह उसी गाँव के एक बुजुर्ग आदमी के पास ले गया जिसे लोग रहीम चाचा के नाम से जानते थे। वहाँ जाकर धीरू ने अपनी सारी बात रहीम चाचा से बता दी।
धीरू की बात सुनकर रहीम चाचा उठे और अंदर से एक लोटे में जल लेकर आए और धीरू से बोले मेरे हाथ में यह लेटा देखकर क्या सोच रहे हो। धीरू ने बोला कुछ नहीं यह तो लोटा हैं और उसमें पानी हैं। रहीम चाचा ने दुबारा से बोला अगर इस लोटे के पानी को अपने दोनों हाथों में कई दिनों तक ऐसे लिए रहे तो क्या होगा। धीरू ने बोला आपका हाथ सुन्न हो जाएगा हो सकता हैं हाथ को लकवा भी मार दें।
फिर, रहीम चाचा ने धीरू को समझना शुरू किया ठीक इसी प्रकार किसी अनावश्यक बात को अगर लंबे समय तक अपने दिमाग में लिए रहोगे तो उसके बहुत बड़े नुकसान होते हैं। इसलिए, आप अपने किए पर पछताने के बजाए उस गलती से सीख कर आगे बढ़ो ज़्यादा की चिंता बेकार होती हैं। चिंता चिता के समान होती हैं जो व्यक्ति को पतन की ओर ले जाती हैं।
6. अपने भाग्य को कोसने वाला इंसान की कहानी:
![story-of-a-man-cursing-his-fate](https://www.bachchaghar.com/wp-content/uploads/2024/04/story-of-a-man-cursing-his-fate.jpg)
एक आदमी जिसका नाम हरिया था जो अपने जीवन से बहुत परेशान रहता था। वह अपने भाग्य को हमेशा कोसता रहता था। अपने इंसानी जीवन को देखकर बहुत दुखी था। एक दिन वह नदी के किनारे बैठा था और अपनी जिंदगी को कोस रहा था। तभी उसे आकाश में एक चील उड़ता हुया दिखाई दिया। उसे देख उसके मन में कई तरह के ख्याल आ रहा था जैसे इस चील की कितनी अच्छी जिंदगी हैं।
उसने ऊपर आसमान की तरफ देखा और जोर-जोर से चिल्लाने लगा हे भगवान, कैसी जिंदगी दी हैं मुझे, नहीं चाहिए ऐसी जिंदगी। मुझे चील जैसी जिंदगी चाहिए। तभी आसमान से आवाज आई क्या तुम चील बनाना चाहते हो हरिया ने तुरंत जबाव दिया हाँ। दुबारा आसमान से फिर आवाज आई इतनी अच्छी जिंदगी को तुम मत छोड़ो।
हरिया ने तुरंत बोला नहीं मुझे चील बनना हैं। आसमान से फिर आवाज आती हैं देख लो अगर तुम एक बार चील बन गये तो दुबारा इंसान नहीं बन पाओगे। हरिया ने बोला ठीक हैं और वह चील बन गया और आसमान में उड़ गया। आसमान में उड़ते-उड़ते उसे सुबह से शाम हो गई। अब चील ने सोचना शुरू कर दिया चलो रहने के लिए अपना घर तो बना ले। उसने एक पेड़ पर घोंसला बनाया।
अगले दिन चील सुबह उठ कर अपने खाने के तलास में निकल पड़ी लेकिन आसपास के तलब सूखे होने के करना उसे मछलियाँ खाने को नहीं मिली। बहुत दूर उड़ने के बाद एक पेड़ पर जाके बैठ गई। उसी पेड़ पर एक बीमार चिड़िया उसे दिखाई दिया। उसने सोच चलो आज इसी को खा के पेट भर लेते हैं। उसने उस चिड़िया को मर कर खा लिया। अगले दिन वह फिर अपने शिकार पर निकली लेकिन, उसे उस दिन कुछ भी नहीं मिला जिसके कारण भूखा सोना पड़ा।
इसी तरह कई दिन बीत गये उसको खाने को कुछ भी नहीं मिल रहा था। जिसके कारण, अब वह चील बहुत कमजोर हो चुका था और ज़्यादा दूर तक उड़ भी नहीं पा रहा था। एक दिन वह अपने घोंसले में सोया हुआ था तभी जोर की आंधी आई और वह घोंसले के साथ नीचे जा गिरा जिसके कारण उसके पैर में बहुत गहरी चोट आई। अब वह और परेशान हो उठा जोकि बिना जुबान था। अब हरिया चील को अपने आप पर बहुत दया आने लगी और सोचने लगा आज अगर मैं इंसान होता तो अपने दुख दर्द दूसरे को बता सकता था।
7. रामू और पत्थर की कहानी:
![story-of-ramu-and-stone](https://www.bachchaghar.com/wp-content/uploads/2024/04/story-of-ramu-and-stone.jpg)
एक बार की बात हैं रामू को उसके पापा ने एक पत्थर दिया और उसने बोला इसको लेकर बाजार में जाओ और कोई तुमसे इसे खरीदने के लिए बोले तो तुम अपना दो अंगुलियाँ उठा देना। अगली सुबह रामू वही पत्थर लेकर बाजार गया जहाँ पर किसी बूढ़ी औरत ने उस पत्थर का दाम पूँछ तो रामू ने अपने दो अंगुलियाँ दिखा दिया। बूढ़ी औरत ने बोला मुझे दे दो मै 200 रुपये दे दूँगी। रामू तुरंत भाग कर अपने पापा के पास गया और बूढ़ी औरत की बात बता दी।
अब उस बच्चे के पापा ने रामू को फिर वही पत्थर लेकर एक संग्रहालय में जाने को बोला। रामू पत्थर लेकर संग्रहालय पहुँच गया जहाँ पर एक व्यक्ति ने रामू के पत्थर को देखकर 2000 रुपये देने को तैयार हो गया। रामू ने तुरंत भाग कर अपने पापा के पास गया और सारी बातें बता दी इस बार रामू के पापा ने अब रामू को वही पत्थर लेकर एक सुनार के दुकान पे जाने को बोला।
रामू वही पत्थर लेकर एक सुनार के दुकान पर पहुचा सुनार ने दूर से देख कर बोला इस पत्थर की खोज में मैं कब से था लाओ मुझे दे दो यह पत्थर। कितना पैसा लोगे इसके रामू ने दो अंगुली दिखा दी। सुनार ने बोला दो लाख मैं देने को तैयार हूँ लाओ दो मुझे। रामू तुरंत अपने पापा के पास वपास गया और सारी बात फिर से बता दी।
रामू के पापा ने अपने बेटे से बोला इसी प्रकार होती हैं आपके जीवन की अहमियत यह आपके ऊपर निर्भर करता हैं की आपको 200 रुपये का इंसान बनकर मर जाना हैं या दो लाख का इंसान बनाना हैं। अपने ऊपर काम करो अपने आपको जैसा चाहते हो ठीक वैसा बनाओ। इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं हैं।
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Last Reviewed: 03 May 2024
Next Review: 03 May 2025