आज की कहानी बहुत ही रोचक हैं जो पंचतंत्र की कहानियों में सबसे पसंदीदा कहानी में से एक हैं। यह कहानी आपके बच्चे के अंदर बौद्धिक परिवर्तन ला सकती हैं। जबकि, इस कहानी के माध्यम से आपके बच्चे के अंदर सोचने और समझने की प्रवृत्ति में बदलाव दिख सकता हैं। यह कहानी बच्चे के मनोरंजन के साथ-साथ सही और गलत में अंतर करने में सहायक सिद्ध होगी जोकि इस प्रकार हैं।
तीन मूर्ख ब्राह्मण और शेर की कहानी:
![the-story-of-three-foolish-brahmins-and-the-lion](https://www.bachchaghar.com/wp-content/uploads/2024/04/the-story-of-three-foolish-brahmins-and-the-lion.jpg)
भरतपुर नामक गाँव में हरीराम नाम का एक पंडित रहता था जो बहुत विद्वान और ज्योतिष था। उसके पास दूर-दूर से लोग अपने भविष्य को जानने के लिए आते थे। हरीराम अपने आसपास तथा दूर के गाँव तक पूजा-पाठ करने जाता था। पंडित हरीराम के चार बच्चे थे जो बहुत छोटे थे वे अपनी शिक्षा अपने माता-पिता से ही ले रहे थे।
एक दिन पंडित हरीराम भोजन कर रहा था तो उसकी पत्नी जानकी ने बोला ”स्वामी अब तो हम लोग धीरे-धीरे बूढ़े होते जा रहे हैं और हमारे बच्चे बड़े हो रहे हैं। जिनको हम कब तक ऐसे शिक्षा देते रहेंगे। हमें अपने बच्चों को गुरुकुल में शिक्षा देनी चाहिए जिसके कारण हमारे बच्चों का सम्पूर्ण विकास हो सके। आपको अपनी जजमानी से फुर्सत ही नहीं मिलती हम अपने बच्चों को घर पर और शिक्षा नहीं दे सकते हैं।
पंडित जी ने बोला हाँ जानकी आप ठीक कह रही हो आज मैं गुरुकुल जाकर अपने बच्चों का दाखिला करवा देते हैं। क्योंकि अब मुझे भी किसी की जीवन रेखा देखना, और उसके भविष्य के बारे में कुछ बता पाने में कठिनाई होती हैं। अगर मैं घर पर बैठा रहा तो हमारे घर का खर्च कैसे चलेगा। जबकि, हमारे बच्चे ज्योतिष विद्या सीख कर हमारे साथ पूजा पाठ करेंगे तो हमारे घर की आय दुगुनी हो जाएगी।
अगली सुबह पंडित हरीराम अपने चारों बच्चों को लेकर गुरुकुल गये वहाँ पर कुछ साधारण से सवाल जवाब के बाद चारों बच्चों का दाखिला हो गया। चारों बच्चों ने खूब मन लगा के ज्योतिष विद्या ग्रहण किए और उनकी पढ़ाई पूरी हो गई। अब बच्चे बड़े हो गये थे जोकि अपना हाथ अपने पिता जी के कारोबार में बटाने लगे थे। पंडित के चारों बच्चों के अंदर बहुत ज्यादा तंत्र विद्या, ज्योतिष विद्या का ज्ञान हो गया था। जिसके कारण उनकी ख्याति दूर-दूर तक प्रसिद्ध हो गई थी।
पंडित के बच्चों की प्रशंसा सुन उस साम्राज्य का राजा ने अपने दरबार में पंडित के चारों बेटों को आने के लिए आमंत्रण भेजवाया। पंडित के बच्चों ने राजा का आमंत्रण पाकर अपने बुद्धि का अभिमान करने लगे। और चारों बेटे हंसने लगे और बोलें चलो आज चलते हैं राजा के जीवन की रेखा को देखने। और चारों भाई एक साथ जंगल के रास्ते से निकल दिये। बीच जंगल में पहुच कर चारों भइयों ने एक मरे हुए शेर की खाल पड़ी हुई देखी आगे और जाने पर शेर के अस्थिर-पंजर भी दिखाई दिया।
सबसे बड़े भाई ने बोला हम लोग पैदल जा रहे हैं अगर हम इस शेर को जिंदा करके इसके ऊपर बैठ के राजा के महल में जाएंगे तो हमारी इज्जत बहुत बढ़ जाएगी। मैं इस शेर के उसके खाल और अस्थिर पंजर से जोड़ सकता हूँ। दूसरे भाई ने बोला मैं इसके अंदर रक्त संचार और शरीर को पहले जैसा बना सकता हूँ। तीसरे भाई ने बोला मैं इसको तंत्र विद्या के माध्यम से जीवित कर सकता हूँ। चौथे भाई ने बोला हमें ऐसा नहीं करना चाहिए हमें सीधे राजा के दरबार में जाना चाहिए। क्योंकि अगर शेर जिंदा हो गया तो वह हम सभी को मार कर खा जाएगा।
उसकी बातें सुन तीनों भाई जोर-जोर से हँस पड़े और बोले मेरे डरपोक भाई अगर हम शेर को जिंदा कर सकते हैं तो उसको अपने अनुसार चला सकते हैं। शेर वही करेगा जो हम कहेंगे सबसे छोटे वाले भाई की बात किसी ने नहीं मानी और शेर की खाल अस्थिर पंजर को एकट्ठा करके तीसरे वाले भाई ने अपने कमंडल से जल निकल कर शेर को जीवित करने के लिए मंत्रों का उच्चारण करना शुरू करने वाला ही था तो सबसे छोटे भाई से बोला रुको मैं पेड़ पर चढ़ जाता हूँ उसके बाद शेर को जिंदा करो।
सबसे छोटा भाई पेड़ पर चढ़ जाता हैं और तीनों भाई अपनी तंत्र विद्या से शेर को जिंदा कर देते हैं। शेर उठ खड़ा होता हैं और दहाड़ मारकर तीनों भाइयों को एक-एक कर के खा जाता हैं। यह सब पेड़ के ऊपर चढ़ा छोटा भाई देख रहा होता हैं। जो अपने मन के अंदर बहुत दुखी होता हैं। शेर के जाने के बाद छोटा भाई पेड़ से नीचे आकर देखता हैं तो सिर्फ हाँड़ मांस के लोथड़े दिखते हैं।
वह तेजी से अपने घर की तरफ भागता है और घर जा कर सारा दृष्टांत अपने माता-पिता को सुनता हैं। देखते ही देखते पूरे गाँव में हाहाकार मच जाता हैं और पंडित हरीराम और उनकी पत्नी को यह सदमा बर्दाश्त न कर सकी दिल का दौरा पड़ने के कारण दोनों की मृत्यु हो जाती हैं।
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Last Reviewed: 05 May 2024
Next Review: 05 May 2025