बच्चों के शारीरिक विकास में पोषण का महत्व

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बच्चों का शारीरिक विकास सबसे महत्वपूर्ण पहलु है, जिसमें पोषण की भूमिका बहुत अनिवार्य होती है। पोषण का मतलब सिर्फ कुछ ही प्रकार के भोजन का सेवन करना नहीं है, बल्कि विभिन्न प्रकार के पोषक तत्वों से समृद्ध, संतुलित, स्वादिष्ट, हरा-भरा, साफ-सुथरा और समय-समय पर मिलने वाला आहार है। पोषक तत्वों में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, विटामिन, मिनरल, फाइबर, पानी, आदि शामिल हैं। जिससे बच्चों का शरीर सही ढंग से बढ़ बढ़ता है, उनकी हड्डियां, मांसपेशियां, मस्तिष्क, प्रतिरक्षा प्रणाली, आदि समुचित रूप से विकसित होते है।

शारीरिक विकास में पोषण के महत्व: (Sharirik vikas me poshan ke mhttv)

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पोषण बच्चों के शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है। यह बच्चों के शरीर के सभी अंगों और ऊतकों को बनाने और मरम्मत करने में मदद करता है। पोषण बच्चों को ऊर्जा प्रदान करता है ताकि वे खेल सकें, सीख सकें और आगे बढ़ सकें।

पोषण की कमी से कुपोषण हो सकता है, जो कि बच्चों के समुचित विकास में बाधा पैदा करता है। कुपोषण से कमजोरी, मोटापा, क्वाशियोरकर, अनेमिया, पेलाग्रा, स्कर्वी, आंत्र-संक्रमण, प्रतिरक्षा-प्रणाली-संक्रमण आदि रोग हो सकते हैं। अच्छे पोषण से बच्चों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होता है:

स्वस्थ वृद्धि और विकास
मजबूत हड्डियां और मांसपेशियां
स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली
बेहतर मानसिक विकास

बच्चों के लिए आवश्यक पोषक तत्व: (Bachcho ke liye avashak poshk tattv)

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बच्चों को संतुलित आहार खिलाना बहुत जरूरी होता हैं जिससे सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल सके। बच्चों को निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए:

कार्बोहाइड्रेट: 

कार्बोहाइड्रेट शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं। कार्बोहाइड्रेट की कमी से थकान, चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, आदि हो सकते हैं। कार्बोहाइड्रेट के स्रोत हैं: चावल, गेहूं, जौ, मक्का, बाजरा, रागी, साबूदाना, सूजी, मैदा, आलू, शकरकंद, मेवे, मिठाई आदि।

प्रोटीन:

प्रोटीन शरीर के मांसपेशियों, हड्डियों, त्वचा, बाल, नाखून, प्रतिरक्षा प्रणाली, हार्मोन, एंजाइम, आदि के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रोटीन की कमी से एनीमिया हो सकता है। प्रोटीन के स्रोत हैं: मांस, मछली, अंडे, पनीर, दही, मिल्क, सोया, मूंग, मसूर, मेथी, पालक, सरसों, आलू, मक्का, मक्खन, मेवे आदि।

वसा:

फैट भी शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं, साथ ही शरीर को ठंड से बचाते हैं, विटामिन A, D, E, K को संचित करते हैं, और शरीर के कुछ हार्मोनों का निर्माण करते हैं। फैट की कमी से सूखेपन, रुकावट, बालों का झड़ना, आदि हो सकते हैं। वसा के स्रोत हैं: मक्खन, घी, मलाई, पनीर, मेवे, मसाला, मांस, मछली आदि।

विटामिन:

विटामिन शरीर के विभिन्न क्रियाओं में सहायक होते हैं, जैसे आँखों की रोशनी, त्वचा का स्वास्थ्य, हड्डियों का मजबूती, प्रतिरक्षा प्रणाली का सुधार, आदि। विटामिन की कमी से पेलाग्रा, स्कर्वी, मुकुल, अनेमिया, आदि हो सकते हैं। विटामिन के स्रोत हैं: फल, सब्जियां, मेवे, मलाई, मक्खन, मछली, मांस, अंडे आदि।

खनिज: 

खनिज तत्व जैसे कैल्शियम, आयरन, जिंक, फोस्फोरस मैग्नीशियम बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खनिज के प्रमुख स्रोत हैं: डेयरी उत्पाद, फल,सब्जियां, नट्स, बीज, मांस, और मछली आदि।

बच्चों के लिए क्लीनिकल ग्रोथ चार्ट: (Clinical Growth Charts for Children)

बच्चों के लिए क्लीनिकल ग्रोथ चार्ट विभिन्न उम्र और लिंग के बच्चों के लिए ऊंचाई, वजन और सिर की परिधि के लिए मानक प्रदान करते हैं। इन चार्टों का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि क्या बच्चा अपने विकास में ट्रैक पर है।

लड़कों के लिए क्लीनिकल ग्रोथ चार्ट:

आयु (माह)ऊंचाई (सेमी)वजन (किलो)सिर की परिधि (सेमी)
050.83.434.3
154.94.136.1
258.44.837.4
361.75.538.8
464.96.340.1
568.17.141.4
671.17.942.7
774.18.743.9
877.09.545.1
979.810.446.3
1082.611.347.6
1185.312.248.8
1288.013.150.0

लड़कियों के लिए क्लीनिकल ग्रोथ चार्ट:

लड़कियों के लिए क्लीनिकल ग्रोथ चार्ट विभिन्न उम्र और लिंग के लड़कियों के लिए ऊंचाई, वजन और सिर की परिधि के लिए मानक प्रदान करते हैं। इन चार्टों का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि क्या बच्ची अपने विकास में ट्रैक पर है।

आयु (माह)ऊंचाई (सेमी)वजन (किलो)सिर की परिधि (सेमी)
050.53.334.2
154.64.036.0
258.14.737.3
361.45.438.7
464.66.240.0
567.87.041.3
670.87.842.6
773.88.643.9
876.79.445.1
979.510.346.3
1082.211.247.6
1184.912.148.8
1287.513.050.0

बच्चों में भावनात्मक और व्यवहारिक विकास:

बच्चों का भावनात्मक और व्यवहारिक विकास उतना ही महत्वपूर्ण है जितना उनका शारीरिक विकास। भावनात्मक विकास बच्चों को अपनी भावनाओं को समझने और व्यक्त करने की क्षमता विकसित करने में मदद करता है। व्यवहारिक विकास बच्चों को सामाजिक नियमों को सीखने और उनके अनुसार व्यवहार करने में मदद करता है। बच्चों के भावनात्मक और व्यवहारिक विकास में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:

शैशवकाल (0-2 वर्ष): 

इस अवस्था में, बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए रोने, हंसने, और चीखने का उपयोग करते हैं। वे अपने माता-पिता और देखभाल करने वालों के साथ भावनात्मक लगाव विकसित करते हैं। तथा व्यवहारिक विकास में बातचीत करना सीखते हैं। वे रेंगने, चलने, और बोलने का कौशल विकसित करते हैं।

बचपन (3-5 वर्ष): 

इस अवस्था में, बच्चे अपनी भावनाओं को पहचानना और नाम देना सीखते हैं। वे यह भी सीखते हैं कि अपनी भावनाओं को कैसे प्रबंधित करें। और व्यवहारिक विकास में जानने की उत्सुकता व खेलना और सीखना पसंद करते हैं

मध्य बचपन (6-12 वर्ष): 

इस अवस्था में, बच्चे अपनी भावनाओं के बारे में बात करने और उन्हें समझने में बेहतर हो जाते हैं। वे सामाजिक कौशल भी विकसित करते हैं और दूसरों के साथ संबंध बनाना सीखते हैं। इसके साथ-साथ व्यवहारिक विकास में अपने कार्यों के परिणामों को समझने लगते हैं। वे नियमों का पालन करना सीखते हैं और दूसरों के प्रति सम्मान दिखाते हैं।

किशोरावस्था (13-18 वर्ष): 

इस अवस्था में, बच्चे अपनी भावनाओं के बारे में अधिक जागरूक हो जाते हैं। वे अपनी भावनाओं को प्रबंधित करना और दूसरों के साथ स्वस्थ संबंध बनाना सीखते हैं। इस उम्र मे बच्चे अधिक स्वतंत्र हो जाते हैं और अपने स्वयं के निर्णय लेने लगते हैं। वे अपनी पहचान बनाने और अपनी जगह ढूंढने की कोशिश करते हैं।

बाल पोषण का महत्व:

बाल पोषण का महत्व बहुत अधिक है। बच्चों को स्वस्थ और मजबूत होने के लिए सही पोषण की आवश्यकता होती है। सही पोषण बच्चों को उनकी शारीरिक और मानसिक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।

बच्चों का शारीरिक विकास लिए स्वस्थ आहार में सभी आवश्यक पोषक तत्व होने चाहिए, जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन और खनिज शामिल हैं। प्रोटीन मांसपेशियों और ऊतकों के निर्माण और मरम्मत के लिए आवश्यक है। कार्बोहाइड्रेट ऊर्जा प्रदान करते हैं। वसा कोशिकाओं के निर्माण और मरम्मत के लिए आवश्यक हैं। विटामिन और खनिज शरीर के विभिन्न कार्यों को ठीक से काम करने में मदद करते हैं।

बच्चों को कब कितना खिलाए:

बच्चों का शारीरिक विकास के लिए दिन में तीन से पांच बार भोजन करना चाहिए। प्रत्येक भोजन में संतुलित आहार शामिल होना चाहिए। संतुलित आहार में सभी खाद्य समूहों से खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं। खाद्य समूहों में फल, सब्जियां, अनाज, प्रोटीन और डेयरी शामिल हैं।

बच्चों के लिए फल और सब्जियां बहुत महत्वपूर्ण हैं। फल और सब्जियों में विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो बच्चों को स्वस्थ रहने में मदद करते हैं। बच्चों को हर दिन पांच से नौ सर्विंग फल और सब्जियां खानी चाहिए

अनाज बच्चों को ऊर्जा प्रदान करते हैं। अनाज में फाइबर भी होता है जो पाचन को स्वस्थ रखने में मदद करता है। बच्चों को हर दिन छह से आठ सर्विंग अनाज खाने चाहिए।

प्रोटीन बच्चों को मांसपेशियों और ऊतकों के निर्माण और मरम्मत में मदद करता है। प्रोटीन के अच्छे स्रोतों में मांस, मछली, अंडे, बीन्स और टोफू शामिल हैं। बच्चों को हर दिन दो से तीन सर्विंग प्रोटीन खाने चाहिए

डेयरी बच्चों को कैल्शियम प्रदान करता है जो मजबूत हड्डियों और दांतों के लिए आवश्यक है। डेयरी के अच्छे स्रोतों में दूध, दही और पनीर शामिल हैं। बच्चों को हर दिन दो से तीन सर्विंग डेयरी खानी चाहिए।

बच्चों के शारीरिक विकास के लिए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)

निष्कर्ष – (Conclusion):

बच्चों का शारीरिक विकास के लिए बाल पोषण आवश्यक है। एक स्वस्थ और संतुलित आहार बच्चों को मजबूत हड्डियों और मांसपेशियों, एक स्वस्थ मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र और एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के निर्माण और विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है। बाल पोषण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि बच्चे तेजी से बढ़ रहे हैं और विकास कर रहे हैं। एक बच्चे के पहले वर्ष में, उनका वजन तीन गुना हो जाता है और उनके मस्तिष्क का आकार दोगुना हो जाता है। इस तीव्र वृद्धि के लिए पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है।

Sources of content

1. बाल्यावस्था में पोषण की आवश्यकता एवं महत्त्व: (https://www.ijhssi.org/papers/vol12(3)/O12037983.pdf)

2. Importance of Nutrition for Children Growth and Development (https://hindrise.org/resources/nutrition-for-children/)

3. Importance of health and nutrition in children (https://scotle.org/importance-of-health-and-nutrition-in-children/)

4. बाल पोषण (http://www.nihfw.org/Doc/Bal%20Poshan%20(Hindi).pdf)

5. Indian Pediatrics (https://www.indianpediatrics.net/)

6. World Health Organization (https://www.who.int/tools/child-growth-standards)

7. Clinical Growth Charts (https://www.cdc.gov/growthcharts/clinical_charts.htm)

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Last Reviewed: 01 May 2024

Next Review: 01 May 2025

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