भारतीय संस्कृति में बच्चे के कान छिदवाने की परंपरा काफी पुरानी है। अक्सर बच्चे के मुंडन के बाद उसके कान छिदवा दिए जाते हैं।
बच्ची के कान छिदवाने के लिए सबसे सही उम्र एक से तीन साल की होती है। इस उम्र में बच्चे की इम्यूनिटी मजबूत होती है और वह दर्द को सहन करने में सक्षम होती है।
बच्चे की इम्यूनिटी कमजोर होने पर संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, अगर बच्चे की इम्यूनिटी कमजोर है, तो उसे कान छिदवाने से बचना चाहिए।
अगर बच्चे की सहनशक्ति कमजोर है, तो उसे कान छिदवाने के लिए एक अनुभवी और कुशल लैब टेक्नीशियन से सलाह लेनी चाहिए।
* कान को साफ रखें * कान को छूने से बचें * कान को भिगोने से बचें * कान को रगड़ने से बचें
* कान छिदवाने के बाद थोड़ा दर्द होना सामान्य है। * कान छिदवाने के बाद सूजन होना भी सामान्य है। * कान छिदवाने के बाद छेद से थोड़ा खून निकलना भी सामान्य है।
* संक्रमण * एलर्जी * केलोइड्स * कान की चोट