अन्नप्राशन संस्कार: कैसे करें और क्या है इसका महत्व?

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अन्नप्राशन संस्कार हिंदू धर्म में शिशु के जीवन का एक महत्वपूर्ण संस्कार है। इस संस्कार में शिशु को पहली बार अनाज जैसे: हलवा या खीर खिलाया जाता है। इससे पहले तक शिशु केवल माता के दूध पर ही निर्भर रहता है। अन्नप्राशन संस्कार एक सांस्कृतिक प्रथा है जिसका उद्देश्य शिशु के पोषण, स्वास्थ्य और विकास को बढ़ावा देना है। इस संस्कार में बच्चे को अन्न के विभिन्न प्रकारों का स्वाद कराया जाता है, जिससे उसकी पोषण शक्ति बढ़ती है और वह स्वस्थ रहता है।

अन्नप्राशन संस्कार का शुभ मुहूर्त:

अन्नप्राशन संस्कार का शुभ मुहूर्त शिशु के जन्म के छठे या सातवें माह में किया जाता है। इस समय शिशु का पाचन तंत्र मजबूत होने लगता है और वह अन्न को पचा सकता है। इस संस्कार के लिए शुभ तिथि, वार, नक्षत्र, लग्न और चौघड़िया का ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा, शिशु के जन्म के अनुसार उसकी राशि और ग्रहों की स्थिति का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए।

अन्नप्राशन संस्कार हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक है। इस संस्कार में शिशु को पहली बार अनाज खिलाया जाता है। अन्नप्राशन संस्कार का महत्व यह है कि यह शिशु के जीवन में एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। इस संस्कार के बाद शिशु को मां के दूध के अलावा अन्य प्रकार का भोजन भी दिया जाने लगता है।

अन्नप्राशन संस्कार की विधि: (Annaprashan Kaise Kare)

हिंदू धर्म में अन्नप्राशन संस्कार बच्चे के जीवन मे अन्न का कितना महत्वपूर्ण भूमिका उसके बारे में बताता हैं। इसके साथ-साथ बच्चें का पोषण तथा खान-पान से लगाव को जीवनपर्यन्त तक सिखाता हैं। यह संस्कार बच्चें के लिए बहुत जरूरी हैं क्योंकि बच्चा अन्न का आदर सम्मान करना सीखता हैं।

अन्नप्राशन संस्कार की विधि निम्नलिखित है:

इस संस्कार के लिए शिशु को नहलाकर साफ कपड़े पहनाया जाता है।
शिशु को एक पालना में बैठाकर उसके चारों ओर दीपक, धूप, फूल, फल, मिठाई, खीर आदि रखा जाता है।
शिशु के माता-पिता, नाना-नानी, दादा-दादी और अन्य परिजन उसके आसपास बैठते हैं।
पुजारी या पंडित शिशु का गोत्र, नाम, राशि और नक्षत्र बताकर उसके लिए शुभकामनाएं देता है।
फिर पुजारी शिशु के लिए गणेश, लक्ष्मी, सरस्वती, अन्नपूर्णा, अग्नि और अन्य देवताओं का पूजन करता है।
इसके बाद पुजारी शिशु को तिलक लगाकर उसके कान में वेद मंत्र सुनाता है।
फिर पुजारी शिशु को खीर या अन्य अन्न का एक छोटा निवाला देता है।
इसके बाद शिशु के माता-पिता और अन्य परिजन भी उसे अन्न खिलाते हैं।

अन्नप्राशन संस्कार से बच्चें की रुचि पता करें:

अन्नप्राशन संस्कार के दौरान शिशु को विभिन्न वस्तुओं का चयन करने का भी एक खेल खिलाया जाता है। इसमें शिशु के सामने पुस्तक, कलम, रुपया, चाबी, फूल, खिलौना आदि रखा जाता है। फिर शिशु को उन वस्तुओं में से कोई एक चुनने के लिए कहा जाता है।

मान्यता है कि जो वस्तु शिशु चुनता है, उसके अनुसार उसका भविष्य निर्धारित होता है। उदाहरण के लिए, अगर शिशु पुस्तक या कलम चुनता है, तो वह विद्वान और बुद्धिमान होगा। अगर शिशु रुपया या चाबी चुनता है, तो वह धनवान और सफल होगा। अगर शिशु फूल या खिलौना चुनता है, तो वह खुश और आनंदमय होगा।

अन्नप्राशन संस्कार के लाभ:

बच्चें को अन्नप्राशन संस्कार कराने के अनगिनत लाभ जिसमे बच्चे का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता हैं। बच्चा अपने संस्कार को समाज में लेके जाता हैं, जिससे बच्चे के रहन-सहन और उसके माता-पिता के परिवेश का पता चलता हैं।

अन्नप्राशन संस्कार के अनेक लाभ हैं, जैसे:

इस संस्कार से शिशु का पाचन तंत्र मजबूत होता है और वह अन्न को अच्छी तरह से पचा सकता है।
इस संस्कार से शिशु को अन्न के अलावा अन्य पोषक तत्व भी मिलते हैं, जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक हैं।
शिशु को अन्न के प्रति आदर और भक्ति का भाव जागृत होता है। वह अन्न को ईश्वर का प्रसाद मानता है और उसका सम्मान करता है।
यह संस्कार से शिशु का परिवार और समाज के साथ एक नाता बनता है। वह अपने परिजनों के प्यार और आशीर्वाद का भागीदार बनता है।

इस प्रकार, अन्नप्राशन संस्कार शिशु के जीवन का एक शुभ और मंगलकारी संस्कार है, जो उसके लिए अनेक सुख और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।

अन्नप्राशन संस्कार का महत्व:

बच्चे के जीवन में अन्नप्राशन संस्कार का महत्व बहुत अधिक पड़ता हैं, जो प्रमुखतः तौर पर निम्नलिखित हैं।

पोषण शक्ति: इस संस्कार से बच्चे की पोषण शक्ति में वृद्धि होती है और उसका स्वास्थ्य सुधारता है।
सामाजिक महत्व: अन्नप्राशन संस्कार एक सामाजिक घटना होती है जो परिवार और समुदाय में खुशियाँ बाँटने का एक मौका प्रदान करती है।
धार्मिक महत्व: इस संस्कार में धार्मिक अर्थ और मौद्रिक तत्व भी शामिल होते हैं, जो बच्चे को धार्मिक संस्कृति से जोड़ता है।
परिवार के संबंधों को मजबूत करता है: इस संस्कार से परिवार के सभी सदस्यों के बीच संबंध मजबूत होते हैं और प्यार बढ़ता है।

अन्नप्रासन पर सजावट (Annaprasana Decorations):

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हिंदू धर्म मे अन्नप्रासन घर पर किया जाता हैं जबकि केरल के लोग हिंदू मंदिर में करते हैं। अगर आप घर पर बच्चे का अन्नप्रासन (annaprasana decoration ideas) के बारे में सोच रहे हैं तो आप को अपने घर की अच्छे से साफ-सफाई करने के बाद घर को साजन पड़ेगा। इसके साथ-साथ आपको एक निश्चित स्थान को चुनना पड़ेगा जहाँ पर आप एक अच्छा स्टेज लगा सके।

बच्चे को बैठाने के लिए आप फर्श, चौकी अथवा तख़्त मोटे गद्दे डाल कर दायें बायें और पीछे साइड तकिया लगा सकते हैं। इसके साथ-साथ फूल, चॉकलेट, खिलौने के साथ सामने सजावट कर सकते हैं। इसके अलावा आप फूल से बच्चे का नाम भी फर्श पर लिख सकते हैं। इसके बाद घर मे बना सभी प्रकार के व्यंजन छोटी-छोटी प्लेट मे रख कर सामने लाइन से सजा सकते हैं।

अन्नप्राशन के लिए कुछ ध्यान देने वाली बातें:

अन्नप्रासन संस्कार (annaprashan sanskar) विधि करने के लिए जरूरी ध्यान देने वाली बातें जोकि निम्नलिखित हैं।

अन्नप्रासन संस्कार 6 महीने से पहले भूल कर न करें, क्योंकि शुरू के 6 महीने बच्चे को माँ का स्तनपान ही जरूरी हैं।
बच्चे को ढीले-ढाले और नये वस्त्र धारण कराये।
इस धार्मिक संस्कार के दिन शुद्ध शाकाहारी व्यंजन बनवाये।
इस शुभ अवसर पर बच्चे को सबसे पहले मामा के हाथों से चांदी के चम्मच से खीर या हलवा खिलवाये।
ध्यान रहे थोड़ा थोड़ा कर के बच्चे को ज्यादा न खिला दे।

अन्नप्राशन में मेहमानों का स्वागत कैसे करें:

हिंदू धर्म मे अन्नप्रासन संस्कार (annaprashan sanskar) एक ऐसा प्रोग्राम होता हैं जहाँ पर हम अपने खास-खास मेहमानों को बुलाते हैं। जिनके लिए हम खाने-पीने का अच्छा प्रबंध करते हैं, जिससे हमारे मेहमान खुश हो कर जाये। हो सकता हैं, आपके मेहमान बच्चे के लिए कुछ गिफ्ट, कपड़े, खिलौने ले आये हो। जबकि, आपको रिटर्न गिफ्ट भी देना चाहिये, जिससे उनको एक अपनत्व की भावना को बल मिले।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)

निष्कर्ष:

अन्नप्राशन संस्कार एक बच्चे के जीवन का एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण क्षण है, जो उसे स्वस्थ और खुशहाल जीवन की शुरुआत के रूप में याद रहता है। यह संस्कार न केवल उसके शारीरिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करता है, बल्कि उसे सामाजिक और धार्मिक संस्कृति से भी जोड़ता है। इसलिए, हमें इसे ध्यानपूर्वक और सही तरीके से करना चाहिए ताकि हमारे बच्चे का जीवन समृद्धि और संतुलन से भरा रहे।

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Last Reviewed: 01 May 2024

Next Review: 01 May 2025

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